Supinyu Hwe Holu (सुपिनौ ह्वै होलू) Lyrics - Narendra Singh Negi

Supinyu Hwe Holu (सुपिनौ ह्वै होलू) Lyrics - Narendra Singh Negi


Supinyu Hwe Holu Lyrics - Narendra Singh Negi

इखि ई पिरथिमा ये हि जलम मा
देखि त छैं च कख देखि होलि,

रुपसि बांद ज्वा बसिगे मन मा,
देखि त छैं च कख देखि होलि-कख देखि होलि

सुपिनौ ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? 


चोरी काखड़ि, बिराणी सगोड़ीकि सी - छै वा
सवादि येनि कि पैणेकि पकोड़ि सी - छै वा
काड़ों का बोटूमा हिंसारे गुन्दसि, 
पिंडाळू पातुमा उंसिकी बुन्दसि - कख देखि होलि?

सुपिनौ ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?


दाना दिवाना कि ब्योवाकि गांणि सी - छै वा
रुड़्यूं का घामूमा छोय्याको पांणि सी छै वा
बादळु बीचमा जूनी झलक्क सी, 
दाता का मुक्क मा मंगत्याकि टक्क सी – कख देखि होलि

सुपिनौ ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?


ह्यूंदि का दिनूमां घामै निवात्ति सी -छै वा
बाला का मनैकि स्यांणि दुद भात्ति सी – छै वा
मरच्यांणा खाणामा खीर जन मिट्ठि सी,
दूर परदेस मा घोरैकि चिट्ठी सी – कख देखि होलि

सुपिनौ ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?


ब्यो बर्यात्युं मां स्याळि सी गाळि सी – छै वा
नाति नत्येणों पर दादी अंग्वालि सी – छै वा
भूखा का अगाड़ी भोजने थालि सी, 
चौका तिराळि नारंगि डालि सी – कख देखि होलि

सुपिनौ ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?


सूनैकि गौलिमा मोत्युंकि माला सी - छै वा 
पांणिकि तौलिमा जूनि सौंडल्या सी – छै वा
औंसिकि घनाघोर राति मुछ्यालि सी – 
अंधेरा मन मां आसै उज्यालि सी – कख देखि होलि
सुपिनौ ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?

Supinyu Hwe Holu Lyrics - Narendra Singh Negi




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